नई दिल्ली, जेएनएन। CBI विवादः निदेशक आलोक वर्मा से कामकाम वापस लिये जाने और उन्हें जबरन छुट्टी पर भेजे जाने को लेकर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की पीठ ने सरकार का पक्ष रखने पेश हुए सॉलिसिटर जनरल से कई तीखे सवाल किए। फिलहाल, मामले पर दोपहर बाद फिर से सुनवाई जारी रहेगी।
सीजेआई ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से सवाल किया कि अगर सरकार वर्मा को छुट्टी पर ही भेजना चाहती थी तो चयन कमेटी से सलाह करने में कहां दिक्कत थी? जिस पर तुषार मेहता ने कहा कि चूंकि उनका तबादला नहीं किया जा रहा था इसीलिए चयन कमेटी से सलाह नहीं ली गई। इस पर फिर से चीफ जस्टिस ने पूछा, फिर भी ये तो बताएं कि चयन कमेटी से सलाह मशविरा करने में कहां दिक्कत थी?.
चीफ जस्टिस ने एडवोकेट जनरल के बुधवार को सुनवाई के दौरान दिए तर्क को लेकर भी सवाल किया। उन्होंने कहा कि एजी ने गत दिवस सुनवाई के दौरान बताया कि शीर्ष अधिकारी बिल्लियों की तरह आपस में लड़ रहे थे। ऐसे में आप ये कुछ महीने और क्यों नहीं सहन कर सके? उन्होंने पूछा कि ऐसा क्या हो गया था कि सरकार ने रातों-रात डायरेक्टर को छुट्टी पर भेज दिया।
सीवीसी ने कहा- मामलों की बजाए एक-दूसरे की जांच कर रहे थे अफसर
सीवीसी ने सुप्रीम कोर्ट में दायर जवाब में कहा है कि सीबीआइ के अधिकारी गंभीर मामलों की बजाए एक-दूसरे की ही जांच में लगे हुए थे। जिससे की सीवीसी इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि अब एक असाधारण स्थिति बन चुकी है और असाधारण स्थिति से निपटने के लिए कार्रवाई भी असाधारण ही होनी चाहिए। सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘चूंकि असाधारण स्थिति उत्पनन्न हो गई थी, इसीलिए सीवीसी ने निष्पक्ष रहते हुए दोनों को काम से हटाने का आदेश दिया।’